क्या कहता है दिल
मेरे साथ चलोगे क्या
बस जिंदगी का सफर तय करना है
जो भी दर्द के साये में गुजरी है रातें तुम्हारी
वो हर बात कहना मुझसें।
जितनी भी जख्म तुझेँ मिले है
उसे मेरे संग भरना
मेरे साथ चलोगे क्या
बस जिंदगी का सफर तय करना है।
आती है मुश्किलें डराती है मुझें
पर तेरे साथ की आस से मैंने
जिंदगी की ताने बाने से
उसकी तुरपाई कर ली है मैंने।
क्या मैं बताऊं, कैसे मैं बताऊं
बस एक तुझसे ही आस है
अभिन्न मित्र की ख्याल में
एक पल भी बरस लगता है
मुझें अभिन्न मित्र की जरूरत है।
सुलझाएंगे एक दुसरे की समस्याएं
करेंगे बातें सुख दुःख की
बस एक अभिन्न मित्र की आस है
तेरे आने से होगा मेरे दुःखो का गमन।
तुम ये मत सोचना कि
मेरा कोई खबर नही रखेगा
हम तो वो है जो तेरे परछाइयों से भी
पहचान लेंगे तुम्हें
मुझें अभिन्न मित्र की जरूरत है।
नूतन लाल साहू
ऋषभ दिव्येन्द्र
26-May-2023 12:27 PM
वाह जी
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Haaya meer
26-May-2023 09:30 AM
Well done
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